लेखनी कविता -इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े - कैफ़ी आज़मी

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इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े / कैफ़ी आज़मी   इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े हँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़े जिस तरह ...

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